एक बार की बात है है। एक हिरण घने जंगल में रहता
था। पर वह कोई आम हिरण नहीं था। वह एक समझदार
और इंसानों की तरह बोलने वाला हिरण था।
एक दिन, राजा जंगल में शिकार खेलने आया। उसने
इस हिरण को देखा तो उसका शिकार करने के लिए तैयार
हो गया। इध्र हिरण ने भी राजा को ध्नुष बाण उठाते देख
लिया था। वह भागने लगा। राजा भी उसका पीछा करने
लगा।
राजा हिरण का पीछा करने में इतना मग्न था कि उसे
जमीन की ओर देखने का ध्यान ही नहीं रहा। हिरण तो
उस खड्ड को आसानी से छलांग लगा कर पार कर गया
पर राजा उसमें गिर गया।
हिरण यह देख कर बहुत दुखी हुआ। वह राजा की मदद
करना चाहता था।
उसने दयालु स्वर में कहा, फ्महाराज! आशा करता हूं
कि आपको कहीं चोट नहीं आई होगी। मैं आपको यहां से
बाहर निकालंूगा।य्
राजा एक हिरण को इंसानी बोली बोलते देख चकित
रह गया। उसे एहसास हो गया कि वह जिस हिरण का
शिकार करना चाहता था। वह कोई आम हिरण नहीं था।
हिरण ने राजा को खड्ड से बाहर आने में मदद की।
राजा को अपने किए पर बहुत अपफसोस था। उसने हिरण
से मापफी मांगी और अपने राज्य में लौट गया।
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